Ankit Raj

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तेरी सिसकियां

तेरी सिसकियां

तेरी  ये  जो  सिसकियाँ  हैं
अब मुझे भी सुनाई देता  है
तु  बैठी  तन्हा   मायूस   हो
तेरी तन्हाई महसूस होता है

तेरी नयन आश्रु से  भरे  हुए  हैं
मुझको भी अश्रु  से  भींगा  रही
दूर   हो   कर   हमसे   तुम  तो
फिर भी तस्वीर देख निहार रही

तु सितारों में तन्हा चाँद अकेली
मैं भी बादल बन भटक रहा  हूँ
तेरी ओठों से मुस्कान चली गई
तेरे बिन मैं  भी  बिखर  रहा  हूँ

तुम  भी  रह  रही  हो  तन्हा
तेरे  बिन मैं  भी  अकेला  हुँ
तेरे बिन बागों में रौनक नहीं
अब तेरा इंतजार कर रहा हूँ

नई  किरणें  फिर   से   खिलेंगे
फिर   से   नई   सवेरा   लायेंगे
ये वक्त जो ठीक नहीं चल  रहा
फिर से नई शुरुआत कर पायेंगे

                      ✍अंकित राज

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16 Comments

Ravi Goyal

17-Dec-2021 01:49 PM

वाह जबरदस्त लाजवाब 👌👌

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Ankit Raj

17-Dec-2021 01:50 PM

शुक्रिया

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Swati chourasia

17-Nov-2021 07:40 PM

Very nice 👌

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Ankit Raj

17-Dec-2021 01:50 PM

शुक्रिया

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Madhulika Sinha

31-Oct-2021 08:48 AM

बेहतरीन पंक्तियाँ अंकित जी👌👌

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Ankit Raj

17-Nov-2021 09:48 PM

शुक्रिया जी आपको

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